घरेलु हिंसा क्या है? || घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की संपूर्ण जानकारी

What is gharelu hinsa (domestic violence)?

किसी महिला या बच्चे (जो 18 वर्ष की आयु नहीं पूरी किया हो) को जब किसी परिवार या संबंधी द्वारा शारीरिक, मानसिक, शाब्दिक, लैंगिक व आर्थिक रूप से जब कष्ट या अपमान सहना पड़ता है तो इसे घरेलू हिंसा कहते हैं। 

घरेलू हिंसा किसी महिला के ससुराल में रहते समय हुए अन्याय ही नहीं है। बल्कि, जब वह अपने माता पिता या भाई के साथ रहती है, उस समय हुए अन्याय को भी कहते है।  

इस लेख में हम घरेलु हिंसा के बारे में जानेंगे। क्या आप भी घरेलु हिंसा के शिकार हैं। कानून घरेलु हिंसा के बारे में क्या कहता है। सभी जानकारी को जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़ें। 

घरेलू हिंसा किस-किस प्रकार की हो सकती है?

Different types of domestic violence:

1. शारीरिक हिंसा:

कोई ऐसा कार्य या आचरण जो महिला को शारीरिक पीड़ा, स्वास्थ्य, शरीर को खतरा या शारीरिक विकास को हानि पहुंचाता है वह शारीरिक हिंसा माना जाएगा। 

2. लैंगिक हिंसा:

कोई ऐसा कार्य जो महिला को लैंगिक तरीके से अपमान या तिरस्कार करता हो या महिला की गरिमा को हानि पहुंचाता है तो यह लैंगिक हिंसा माना जाएगा।

3. मौखिक और भावनात्मक हिंसा:

महिला का अपमान ,तिरस्कार, संतान न होने पर उसके साथ मौखिक रूप से अभद्र भाषा का प्रयोग करना,  मौखिक और भावनात्मक हिंसा है।

4. आर्थिक हिंसा:

किसी महिला को कानून द्वारा दिए गए आर्थिक संसाधनों या उसके हक की संपत्ति से दूर करना या बर्खास्त करना आर्थिक हिंसा कही जाती है। जैसे कि दहेज की मांग करना,संपत्ति से दूर रखना, इत्यादि। 

घरेलू हिंसा के लक्षण:

Symptoms of Domestic Violence:

घरेलू हिंसा के लक्षण

 शारीरिक हिंसा: मारपीट,थप्पड़ मारना, डांटना, दांत काटना, ठोकर मारना, अंग व स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना,  इत्यादि।

 लैंगिक हिंसा: जबरदस्ती संबंध बनाना, अश्लील सामग्री या साहित्य देखने को मजबूर करना, बलात्कार, इत्यादि।

शाब्दिक हिंसा: गाली गलौज, अभद्र भाषा का प्रयोग, इत्यादि।

आर्थिक हिंसा: महंगी वस्तु की मांग करना, संपत्ति की मांग करना,  दहेज मांगना, संपत्ति से बेदखल करना,  आपके और आपके बच्चे की आर्थिक सहायता ना करना, इत्यादि।

भारत में घरेलू हिंसा के विभिन्न रूप क्या-क्या है?

What are the different forms of domestic violence in India?

1. महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा

किसी महिला को शारीरिक पीड़ा देना जैसे- मारपीट करना, धकेलना, ठोकर मारना, किसी वस्तु से मारना। या किसी अन्य तरीके से महिला को शारीरिक पीड़ा देना। इसमें महिला को अश्लील साहित्य या अश्लील तस्वीरों को देखने के लिये विवश करना भी शामिल है।

साथ ही बलात्कार करना, दुर्व्यवहार करना, अपमानित करना, महिला की पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को आहत करना।  किसी महिला या लड़की के चरित्र पर दोषारोपण करना, उसकी शादी इच्छा के विरुद्ध करना हत्या की धमकी देना आदि। 

2. पुरुषों के विरुद्ध घरेलू हिंसा

 इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती कि, भारत में महिलाओं और बच्चों के साथ हो रहे दुर्व्यवहारों की संख्या कम है।  लेकिन यदि यह कहा जाए कि भारत में पुरुषों के साथ घरेलू  हिंसा नहीं होती तो यह गलत होगा। 

पिछले कुछ वर्षों में पाया गया है कि पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा के आंकड़े भारत में लगातार बढ़ रहे हैं। 

3. बच्चों के विरुद्ध घरेलू हिंसा

जहां भारत में बच्चे अपने कर्मों से विभिन्न जगहों पर परचम लहरा रहे हैं। वहीं कहीं न कहीं आज भी बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, बाल मजदूरी जैसी गंभीर समस्या भी पाई जा रही है। 

4. बुजुर्गों के विरुद्ध घरेलू हिंसा

घरों में बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के कारण वृद्धों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार या अत्याचार को  इस श्रेणी में रखा गया है। 

घरेलू हिंसा की है श्रेणी काफी संवेदनशील है। इसमें बुजुर्गों के साथ मारपीट करना, उनसे काम करवाना, भोजन न देना। या पारिवारिक सदस्यों से अलग रखना है ,आदि लक्षण पाए जाते हैं।  

घरेलू हिंसा से बचने के उपाय:

Ways to avoid domestic violence:

भारत सरकार घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए विभिन्न अधिनियम को लाइ है। जिसमें से: 

  • घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, और
  • दहेज प्रथा अधिनियम, मुख्य है। 

यह कानून महिलाओं की मदद तभी कर सकते हैं, जब वह इंसाफ के लिए कदम उठाएंगी। यदि वह ऐसा करती हैं तो उसे कोर्ट द्वारा उचित न्याय दिया जाता है। जिसमें उसके बच्चे का पालन पोषण, घर की व्यवस्था तथा घरेलू खर्च जुड़े हुए हैं। 

महिलाओं की समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार इस अधिनियम को लाई है। जिससे वह अपने जीवन को एक बोझ न समझें और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठा कर उचित न्याय पा सकें।

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 क्या है?

What is domestic violence act 2005?

घरेलू हिंसा अधिनियम पूरी तरह से गैर अपराधिक(non-criminal) ढंग का कानून है। इसके तहत यदि महिला को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, शाब्दिक आदि रूप से यदि प्रताड़ित किया जाता है तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है और उचित न्याय प्राप्त किया जा सकता है। 

इसका उद्देश्य है कि:

  • महिलाओं को गुजारा भत्ता दिलवाया जाए। 
  • उनकी सुरक्षा का ध्यान दिया जाए। 
  • उनको रहने की जगह दिलवाई जाए।
  • उनके बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी दिया जाए। और,
  • यदि महिला चाहती है कि मामले को शांतिपूर्ण रूप से सुलझाया जाए तो उसका भी प्रावधान है। 

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के अंतर्गत शिकायत की प्रक्रिया

Basic Information of registering complaint under domestic violence act 2005:

कौन सी महिलाएं समाधान या राहत की मांग कर सकती है?

कोई भी महिला जो किसी पुरुष के साथ घरेलू संबंध में रहती हो या रह चुकी हो। हर घरेलू हिंसा की शिकार महिला इस अधिनियम के तहत न्याय पा सकती है।

किसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है?

अधिनियम के अंतर्गत कोई भी पीड़ित महिला किसी भी वयस्क पुरुष के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है। जिसके साथ वह संबंध में रही हो या रहती हो। 

शादीशुदा महिला या लिव-इन-रिलेशनशिप (relationship) में रहने वाली महिला अपने पति या पार्टनर (partner) के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है। 

महिला की तरफ से कौन शिकायत दर्ज करा सकता है?

महिला के साथ-साथ महिला की ओर से आया हुआ कोई भी व्यक्ति हो सकता है महिला की और से शिकायत दर्ज करा सकता है। वह उसका भाई, पिता, रिश्तेदार, सामाजिक कार्यकर्ता या पड़ोसी भी हो सकता है।

शिकायत कहां की जाती है?

घरेलू हिंसा की शिकायत आप 6 जगह दर्ज करा सकते हैं:

  •  नजदीकी पुलिस स्टेशन में,
  • ऑनलाइन e – FIR के माध्यम से 
  •  कोर्ट में सेक्शन 12 के तहत,
  •  महिला आयोग की वेबसाइट पर, 
  •  2014 में वूमेन सिक्योरिटी ऐप (women security app) के जरिये
  • 1091 के हेल्पलाइन नंबर से।
इसके अलावा पीड़ित महिला शिकायत दर्ज करवाने के लिए गृह मंत्रालय की ऑफिसियल वेबसाइट से संपर्क करके और Madad Welfare Society या Smile Foundation की सहायता ले सकती है। यह NGO महिला को न्याय दिलवाने में पूरी सहायता करेंगे। 

शिकायत दर्ज कराने के बाद की प्रक्रिया क्या है?

घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराने के बाद संरक्षण अधिकारी (protection officer) मजिस्ट्रेट (magistrate) या जज (judge) को संपूर्ण घटना की जानकारी देंगे। 

जिसमें महिला पर हुए अत्याचारों की और साथ ही साथ महिला की क्या मांग है उसकी संपूर्ण जानकारी होगी। आरोप के साबित होने पर जज उचित निर्णय देते हैं। 

Note: कोई भी आवेदन मिलने के बाद मजिस्ट्रेट को 3 दिन के अंदर मामले की पहली सुनवाई करनी होती है। और साथ ही साथ 60 दिनों के अंदर मामले के उचित निर्णय को बताना भी होता है। 

घरेलु हिंसा के मामले में मजिस्ट्रेट या जज कौन-कौन से आदेश पारित कर सकता है?

What orders can the Magistrate or judge pass?

घरेलु हिंसा के मामले में आदेश

1. संरक्षण आदेश (Protection Order)-

यह आदेश पीड़ित महिला को अन्य किस प्रकार की हिंसा ना होने से बचाने के लिए पारित किया जाता है, मजिस्ट्रेट यह आदेश पारित करते हैं जिससे:

  • घरेलू हिंसा का कोई कार्य न हो सके। 
  • घरेलू हिंसा में कोई किसी को लड़ाने के लिए उकसा या चढ़ा ना सके। 
  • पीड़ित महिला से विभिन्न संसाधनों से संपर्क ना हो सके। 
  • पीड़ित महिला का धन सुरक्षित रह सके।

2. निवास आदेश (Residence Order)-

यह आदेश मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किया जाता है जब यह साबित हो चुका है कि घरेलू हिंसा की घटना घटित हो चुकी है। इससे पीड़ित महिला को रहने का उचित स्थान दिया जाता है।

3. क्षतिपूर्ति एवं वित्तीय सहायता आदेश (Compensation and Financial Assistance Order)

कई बार महिला को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, जिसके लिए मजिस्ट्रेट महिला की  छतिपूर्ति और वित्तीय सहायता को ध्यान में रखते हुए पारित कर सकते हैं।

4. अभिरक्षा आदेश (Custody Order)

इस आदेश में पीड़ित महिला के बच्चों की स्थाई अभिरक्षा(custody) की जाती है।

5. अंतरिम आदेश और एकपक्षीय कार्यवाही (Interim orders and ex parte proceedings)

मजिस्ट्रेट को यह हक होता है कि वह किसी भी समय अंतिम फैसले को घोषित कर सकता है। परंतु वह न्यायिक होना चाहिए।

Frequently Asked Questions

संरक्षण अधिकारी राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा नियुक्त अधिकारी होते हैं।  जिनका कार्य होता है कि जिला विधिक सहायता सेवा प्राधिकरण(District Legal Aid Services Authority)के माध्यम से निशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने में आपकी मदद करना।

यह पुलिस की मामले की जांच करने और समस्या से जल्द से जल्द निपटारा पाने में मदद करते हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि अदालती कार्यवाही के बाद उत्पीड़क और उत्पीड़क के बच्चों के ऊपर कोई दबाव या कष्ट नहीं पहुंचाया गया है। यह आपकी रिपोर्ट तैयार करने में भी मदद करते हैं जिसे घरेलू घटना की रिपोर्ट

(domestic incident report) कहा जाता है।

पीड़ित महिला पुलिस स्टेशन में, 1091 पर कॉल करके, e – FIR करके, Women Security App, महिला आयोग की ऑफिसियल वेबसाइट पर और कोर्ट में सेक्शन 12 के तहत शिकायत दर्ज करवा सकती है। 

यदि महिला पढ़ी-लिखी नहीं है तो वह अपने पास के आंगनवाड़ी में संपर्क कर सकती है। जहां उसे फॉर्म भरने में उचित सहायता प्रदान की जाएगी। 

कोई भी आवेदन मिलने के बाद मजिस्ट्रेट को 3 दिन के अंदर मामले की पहली सुनवाई करनी होती है। और साथ ही साथ 60 दिनों के अंदर मामले के उचित निर्णय को बताना भी होता है।

नहीं, कई बार पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं। परंतु भारत में इनकी संख्या बहुत कम है। 

नहीं, घरेलू हिंसा हर किसी महिला पर लागू हो सकती है चाहे वह बहन हो, माता हो, भाभी हो, या रिश्ते से जुड़ी कोई भी महिला हो। 

पीड़ित महिला 1091 पर संपर्क कर सकती है। इसके आलावा वह गृह मंत्रालय की वेबसाइट से 23092392 नंबर पर भी संपर्क कर सकती है। 

Conclusion

हमारा उद्देश्य है आप लोगों को सही जानकारी पहुंचा कर जागरूक करना। फिर भी कहीं न कहीं गलती की गुंजाइश होती है। ऐसे में यदि आप या आप के आस पास कोई भी घरेलु हिंसा का शिकार है, तो उसे कानूनी तौर पर हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी होगी। यहाँ हमने कुछ ऐसे लिंक्स दिए हैं जिनकी मदद से आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। 

हमने इस लेख में जाना की घरेलु हिंसा क्या होती है। भारत का क़ानून घरेलु हिंसा के लिए किस अधिनियम का पालन करता है। और घरेलु हिंसा के साबित होने पर कोर्ट किस तरह के निर्णय देती है। 

स्त्री जहां आज हर क्षेत्र में परचम लहरा रही है वही समाज में आज भी कुछ लोगों के यहां पुत्र-पुत्रियों के बीच भेदभाव किया जाता है। आज भी कुछ लोगों के बीच यह भावना पाई जाती है कि “एक पुत्री पढ़ लिख कर क्या ही करेगी। या उसे बड़े होकर ज्यादा से ज्यादा दूसरे के घर जाकर चूल्हा-चौकट ही तो करना है”  यही भावना घरेलु हिंसा का कारण बनती हैं। 

घरेलू हिंसा में केवल मारपीट नहीं है, बल्कि शारीरिक उत्पीड़न, मानसिक उत्पीड़न, आर्थिक उत्पीड़न, दहेज की मांग और लैंगिक अपराधों को भी शामिल किया जाता है। 

1 thought on “घरेलु हिंसा क्या है? || घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की संपूर्ण जानकारी”

  1. Very nice information.
    But jo 3 din me sunwai or 60 din me justice ( faisla ) ki bat hai wo galat hai. Meri bahan padhi likhi ni hai 9th failed hai.uska pati hr tarha se physicaly mentally pratadit domestic violence kr rha hai.meri bahan ko divorce diy bin dusri k sath rh rha hai.or 4 month ho gya kutumb nyaalay me application diye huye but day ke uper day diye ja rhe hai. Kisi tarah ki koi help nahi mili hai. Please help us .uske 2 bachche hai ,jo padhai ki jagah majduri krne pr majbur ho gaye hai. Please please help kijiye.

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