कर (Tax) एक ऐस शुल्क है जो हर भारतीय नागरिक भारत सरकार को किसी किसी रूप में भरता है। भारत सरकार यही टैक्स के पैसों से ही भारत में नयी योजनाएं, सरकारी कर्मचारियों के वेतन और अन्य कई तरह की सुविधाएँ भारत के नागरिकों के लिए ला पाति हैं।
लेकिन क्या आपको पता है, भारत में कितने तरह के टैक्स भारत सरकार नागरिकों से वसूलती है। ज्यादातर लोगों का जवाब होता है GST. यह तो बस एक टैक्स का प्रकार है। इस आर्टिकल में हमने आपको भारत में सरकार द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स के प्रकार बताये हैं।
इस लिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें और यदि आपके मन में कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं।
टैक्स (Tax) एक जरूरी शुल्क (Fees) है जो सरकार द्वारा किसी संस्था या व्यक्ति पर लगाया जाता है ताकि राजस्व जुटाया जा सके। इस राजस्व का उपयोग सरकार द्वारा देश को विकास पथ पर अग्रसर करने के लिए विकास योजनायों में लगाया जाता है।
टैक्स देना एक क़ानूनी तंत्र है जो सरकार द्वारा सार्वजनिक सेवाओं, बुनियादी जरूरतें और कल्याणकारी कार्यकर्मों के जरूरतों को पूरा करने के लिए लागू किया जाता है। टैक्स किसी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ का निर्माण करता है। टैक्स देना हर किसी के लिए जरूरी है। टैक्स ना देने की सूरत में जुर्माना या सजा मिल सकती है।
टैक्स के प्रकार (Types of Tax)
सरकार द्वारा कई तरह से टैक्स लगाया जाता है। टैक्स को अदा करने के तरीकों के आधार पर टैक्स को दो वर्गों में बाँटा गया है, प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर। दोनों टैक्स की विस्तृत जानकारी निम्नलिखित है-
- प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)
- अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)
- प्रत्यक्ष कर करदाता की तरफ से सीधा सरकार को दिया जाता है।
- भारत में ये इनकम टैक्स और प्रॉपर्टी टैक्स के रूप में लोगों से लिया जाता है।
- प्रत्यक्ष कर से सरकार को करदातायों की कुल टैक्स इनकम का पता रहता है क्यूंकि ये उनकी आमदनी से सीधा जुड़ा हुआ होता है।
- ये टैक्स लचीले प्रकार के होते हैं क्यूंकि अधिक आय वालों को ज्यादा टैक्स देना पड़ता है और कम आय वालों को न्यूनतम टैक्स देना होता है।
प्रत्यक्ष कर के प्रकार नीचे दिए अनुसार हैं –
इनकम टैक्स (Income Tax)
ये टैक्स आपकी सालाना आमदनी पर लगता है। नए टैक्स स्लैब के अनुसार आमदनी पर लगने वाला टैक्स निम्नलिखित अनुसार है –
- रु 0 से रु 3 लाख तक – 0%
- रु 3 से रु 7 लाख तक – 5%
- रु 7 से 10 लाख तक – 10%
- रु 10 से 12 लाख तक – 15%
- रु 12 से 15 लाख तक – 20%
- रु 15 लाख से ऊपर तक – 30%
कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate Tax)
ये टैक्स घरेलू और विदेशी दोनों तरह की कंपनियों की सालाना शुद्ध आमदनी पर लगाया जाता है। घरेलू कंपनियों पर टैक्स की दर 30% और विदेशी कंपनियों पर टैक्स की दर 40% है।
प्रॉपर्टी टैक्स (Property Tax)
ये टैक्स स्थानीय सरकार द्वारा घर के वर्तमान मालिक पर लगाया जाता है। सभी राज्यों में इस टैक्स की दर अलग अलग हो सकती है। टैक्स की दर इस बात पर निर्भर करती है कि प्रॉपर्टी रहने के लिए इस्तेमाल हो रही है या कमर्शियल कामों के लिए।
कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax)
जब कोई निवेशक अपनी प्रॉपर्टी, घर, कार, बैंक एफडी आदि को बेचता है तो इसकी बिक्री से होने वाले मुनाफे पर टैक्स लिया जाता है जिसे हम कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं।
व्यवसायिक टैक्स (Business Tax)
ये टैक्स सभी व्यवसायों, कर्मचारियों, फ्रीलांसर आदि पर तब लगाया जाता है जब उनकी आमदनी तय सीमा से ज्यादा हो। ये राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है और हर राज्य ये टैक्स नहीं लगाता। ये टैक्स अधिकतम 2,500 रूपए तक ही लगाया जा सकता है।
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
- अप्रत्यक्ष कर अलग तरीके से दिया जाता है। ये टैक्स सेवायों के उपयोग पर आधारित होता है।
- इस टैक्स का भुगतान करदाता द्वारा सीधे सरकार को नहीं किया जाता है।
- सरकार सामान या सेवा के विक्रेता से ये टैक्स प्राप्त करती है।
- विक्रेता ये टैक्स सामान या सेवा के खरीदार से कीमत के साथ ही वसूल करता है।
- सेल टैक्स, VAT, GST ये सारे अप्रत्यक्ष कर के रूप हैं।
अप्रत्यक्ष करों के प्रकार नीचे दिए अनुसार हैं
Goods and Services Tax (GST)
ये टैक्स वस्तुओं और सेवाओं पर 0%, 5%, 12%, 18%, या 28% की दर से लगाया जाता है। कुछ अन्य वस्तुओं और सेवाओं को इस टैक्स से छूट दी गई है।
Value Added Tax (VAT)
जब भी बिक्री के लिए कोई वस्तु तैयार करने के लिए कच्चे माल का उपयोग होता है तब VAT लगता है। जब कोई वस्तु अर्ध-तैयार या कच्चे माल के रूप में खरीदी और बेची जाती है तो हर खरीद पर VAT लगता है अगर हर बार वस्तु की कीमत बढ़ी हो।
Product Tax
ये टैक्स सरकार द्वारा कुछ वस्तुओं के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर लगाया जाता है। ये टैक्स सीधे नहीं लिया जाता बलिक वस्तु की कीमत में शामिल होता है।
Custom Duty
ये टैक्स वस्तुओं के आयात और निर्यात पर लगाया जाता है। घरेलू उद्योग की सेफ्टी के लिए ये बदलता रहता है।
Stamp Duty
ये टैक्स भी सरकार द्वारा लिया जाता है। जिस भी दस्तावेज को कानूनी दस्तावेज माना जाता है उसके लिए स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करना होता है।
स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान में देरी के कारण राशि का 2% से 200 % तक जुर्माना लगाया जा सकता है। वैसे तो ये खरीदार को स्टाम्प ड्यूटी देनी होती है पर संपत्ति के दस्तावेजों पर दोनों पक्षों में स्टाम्प ड्यूटी बराबर बाँट दी जाती है।
Service Tax
ये टैक्स होटल, रेस्टोरेंट, मोबाइल कनेक्शन आदि की सेवा प्रदान करने वालों से वसूला जाता है। इन सेवाओं को प्रदान करने वाले बाद में इन्हें अपने ग्राहकों से वसूलते हैं।
Road Tax
सार्वजानिक सड़कों के उपयोग पर ये टैक्स सभी वाहनों पर लगाया जाता है। ये टैक्स वाहनों की खरीद के समय वसूला जाता है। निजी वहां के लिए ये टैक्स एक बार देना होता है जबकि कमर्शियल वाहनों को ये हर साल देना होता है। टैक्स की रकम वाहन के इंजन की क्षमता, लागत मूल्य, वज़न, बैठने की क्षमता आदि पर निर्भर करती है।
Entertainment Tax
ये टैक्स मनोरंजन से सम्बंधित कामों जैसे कि फ़िल्में, थिएटर, मनोरंजन पार्क, सर्कस, सांस्कृतिक शो आदि पर लगाया जाता है। हालाँकि इसकी दर हर राज्य में अलग है।
Security Transaction Tax (STT)
ये टैक्स मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से स्टॉक, शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर, डेरिवेटिव, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूच्यूअल फंड्स आदि जैसे उत्पादों पर लगाया जाता है। ये टैक्स सीधा केंद्र सरकार द्वारा लगाया और बेचा जाता है।
Minimum Alternate Tax (MAT)
कई कंपनियां चालाकी से कर बचा ले जाती हैं। जिससे निपटने के लिए सरकार द्वारा न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternate Tax) लाया गया। इसके तहत कंपनियों को एक मिनिमम टैक्स सरकार को देना पड़ता है।
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टैक्स देने क्यों जरुरी हैं ?
- टैक्स का भुगतान करना एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज है क्यूंकि ये सरकार की लोक-कल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने के काबिल बनाता है।
- आपके टैक्स देने से ये सुनिश्चित हो जाता है कि सरकार द्वारा अपने नागरिकों को दी जाने वाली सारी सुविधाएँ बेरोक टोक चलती रहेंगी।
- आप लोन या क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने के लिए अपने टैक्स रिटर्न दस्तावेजों का उपयोग कर सकते हैं।
- सरकार द्वारा बहुत सारे काम किये जाते हैं जिनके लिए धन की जरुरत होती है। आपके द्वारा दिए गए टैक्स से राजस्व बढ़ता है और फिर इसी धन का उपयोग सेनाओं, बुनियादी ढाँचे के विकास, नागरिकों की सुरक्षा और प्रशासनिक सेवाओं के लिए किया जाता है।
टैक्स चोरी के खिलाफ कानून और जुर्माना क्या है?
- सरकार द्वारा टैक्स से सम्बंधित कई तरह के कानून बनाए गए हैं और हर नागरिक के लिए इनका पालन करना जरुरी है। टैक्स चोरी को लेकर निम्नलिखित अनुसार कानून और सज़ा का प्रावधान है –
- धारा 140A (1) के अनुसार एक करदाता आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से मूल राशि या ब्याज पर टैक्स का भुगतान करने में असफल रहता है तो उसे डिफाल्टर माना जाएगा।
- धारा 221 (1) के अनुसार टैक्स अधिकारी बकाया राशि के बराबर जुरमाना लगा सकते हैं।
- धारा 271 © के अनुसार यदि कोई करदाता इनकम को छुपाता है तो इस हालत में उस पर 100% से लेकर 300% प्रतिशत का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- अगर कोई डिफाल्टर धारा 142 (1) या 143 (2) के अनुसार नोटिस का जवाब नहीं देता है तो टैक्स अधिकारी उसको रिटर्न दाखिल करने या लिखित रूप में संपत्ति और लाइबिलिटी के बारे में जवाब देने के लिए कह सकता है।
Conclusion
इस आर्टिकल में आपने जाना कि टैक्स क्यों लगाए जाते हैं और भारत में ये कितनी प्रकार (Types of Tax in India) के होते हैं। किसी देश की अर्थव्यवस्था को चलाए रखने के लिए ये टैक्स बहुत जरूरी हैं। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते वक्त पर टैक्स अदा करना हम सबका फर्ज़ होता है।
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Other Useful Resources
- Types of Loans – जानिए लोन के प्रकार
- Taxation in India